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Varuthini Ekadashi Vrat Katha: 04 मई को रखा जाएगा वरुथिनी एकादशी का व्रत, जानिए इस एकादशी व्रत की कथा

jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 01 May 2024 06:07 PM IST
सार

Varuthini Ekadashi Vrat Katha: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

Varuthini Ekadashi Vrat Katha
Varuthini Ekadashi Vrat Katha- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Varuthini Ekadashi Vrat Katha: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार यह एकादशी 4 मई, शनिवार को पड़ रही है। एकादशी व्रत के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि वरूथनी एकादशी का व्रत करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

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वरूथिनी एकादशी व्रत की कथा

नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज्य करते थे। राजा सदैव धार्मिक कार्यों में रुचि रखते थे। वह सदैव पूजा-पाठ में लीन रहते थे। एक बार राजा जंगल में तपस्या में लीन थे तभी एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाने लगा। इस घटना से राजा बिल्कुल भी भयभीत नहीं हुए और उनका पैर चबाने के बाद भालू उन्हें खींचकर पास के जंगल में ले गया। तब राजा मांधाता भगवान विष्णु से प्रार्थना करने लगे। राजा की पुकार सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और अपने चक्र से भालू को मार डाला।

 राजा का पैर भालू ने खा लिया था और इस बात से वह बहुत परेशान हो गया। भक्त को दुःखी देखकर भगवान विष्णु ने कहा- 'हे वत्स! शोक मत करो. तुम मथुरा जाओ और वरुथिनी एकादशी का व्रत करो और मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। इसके प्रभाव से आप पुनः शक्तिशाली बन जायेंगे। यह भालू तुम्हें काट रहा है यह तुम्हारे पूर्व जन्म का अपराध है। भगवान की आज्ञा मानकर राजा ने मथुरा जाकर भक्तिपूर्वक यह व्रत किया। इसके प्रभाव से वह सुन्दर हो गया और उसके अंग उत्तम हो गये।
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