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Mohini Ekadashi Vrat Katha: मोहिनी एकादशी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, तभी मिलेगा पूर्ण फल

jeevanjali Published by: निधि Updated Mon, 06 May 2024 04:43 PM IST
सार

Mohini Ekadashi Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष मोहिनी एकादशी 19 मई 2024 को है।

Mohini Ekadashi Vrat Katha
Mohini Ekadashi Vrat Katha- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Mohini Ekadashi Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष मोहिनी एकादशी 19 मई 2024 को है। मोहिनी एकादशी की तिथि 18 मई 2024 को सुबह 11:23 बजे शुरू होगी। इसकी समाप्ति अगले दिन 19 मई 2024 को दोपहर 1:50 बजे होगी. उदया तिथि को देखते हुए मोहिनी एकादशी व्रत 19 मई को रखा जाएगा। मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखकर जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। मोहिनी एकादशी व्रत की कथा समुद्र मंथन से संबंधित है। ऐसे में आइए आज जानते हैं कि इस एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी क्यों पड़ा और इसकी पौराणिक कथा क्या है...

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मोहिनी एकादशी कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया तो उससे अमृत कलश की प्राप्ति हुई। देवता और दानव दोनों ही पक्ष अमृत पान करना चाहते थे, जिसकी वजह से अमृत कलश की प्राप्ति को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद छिड़ गया। विवाद की स्थिति इतनी बढ़ने लगी कि युद्ध की तरफ अग्रसर होने लगी। ऐसे में इस विवाद को सुलझाने और देवताओं में अमृत वितरित करने के लिए भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया। 

इस सुंदर स्त्री का रूप देखकर असुर मोहित हो उठे। इसके बाद मोहिनी रूप धारण किए हुए विष्णु जी ने देवताओं को एक कतार में और दानवों को एक कतार में बैठ जाने को कहा और देवताओं को अमृतपान करवा दिया। अमृत पीकर सभी देवता अमर हो गए। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था, उस दिन वैशाख मास की शुक्ल एकादशी तिथि थी। इस दिन विष्णु जी ने मोहिनी रूप धारण किया था, इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है।
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पूजाविधि

- एकादशी समस्त पापों को हरने वाली सर्वोत्तम तिथि है। प्राणियों सहित संपूर्ण त्रिलोक में इससे बढ़कर कोई तिथि नहीं है।
- इस दिन सभी मनोकामनाओं और सिद्धियों के दाता भगवान श्री विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए।
- रोली, मोली, पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल, मौसमी फल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद धूपबत्ती से श्रीहरि की आरती करनी चाहिए और दीप दान करना चाहिए।
- इस दिन 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी होता है।
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