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Bhaum Pradosh Vrat 2024: ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत कब ? जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Mon, 27 May 2024 08:00 AM IST
सार

Bhaum Pradosh Vrat 2024: इस बार ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का व्रत 04 जून 2024 दिन मंगलवार को रखा जाएगा। इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ रहा है और मंगल को भौम भी कहा जाता है इसलिए यह व्रत भौम प्रदोष कहलाएगा। 

Bhaum Pradosh Vrat 2024
Bhaum Pradosh Vrat 2024- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Bhaum Pradosh Vrat 2024: शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह में दोनों पक्षों कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने का विधान है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। इस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के समय पूजा करने का विधान है इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत का नाम सप्ताह के दिनों के अनुसार होता है। इस बार ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का व्रत 04 जून 2024 दिन मंगलवार को रखा जाएगा। इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ रहा है और मंगल को भौम भी कहा जाता है इसलिए यह व्रत भौम प्रदोष कहलाएगा। इस आइए जानते हैं प्रदोष की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
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जून में कब है भौम प्रदोष व्रत?

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 जून, मंगलवार को रात 12:18 बजे शुरू होगी। यह तिथि 4 जून को ही रात्रि 10:01 बजे समाप्त हो जाएगी. ऐसे में जून का पहला प्रदोष व्रत 4 जून को रखा जाएगा. यह ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत भी होगा। इसकी पूजा का प्रदोष काल 4 जून की शाम को है।

भौम प्रदोष व्रत का मुहूर्त

जून के पहले दिन प्रदोष व्रत की पूजा के लिए आपको सिर्फ 2 घंटे 1 मिनट का समय मिलेगा. भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा का मुहूर्त शाम 07:16 बजे से रात 09:18 बजे तक है। ऐसे में आपको भोलेनाथ की पूजा संपन्न करनी चाहिए. इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है।
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भौम प्रदोष व्रत का महत्व

दीर्घायु,शांति और सौभाग्य की प्रार्थना के लिए बुध प्रदोष के दिन लोग व्रत रखते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने वाले अपने पिछले और वर्तमान के सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर ने चंद्र देव को एक राजा के श्राप से मुक्त कराया था। यदि व्रत को 'श्रद्धा  के साथ रखा जाता है और दिन के सभी अनुष्ठानों का पालन पूरी लग्न से किया जाता है , तो भगवान महादेव भक्त के कष्टों को समाप्त करते हैं और उसे स्वास्थ्य, धन और बुद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
 

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि

- प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें और साफ कपड़े पहनें।
- इसके बाद मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं या रुद्राभिषेक करें। 
- वरुद्राभिषेक के लिए गंगाजल, गाय का दूध, भांग, धतूरा, बेलपत्र, चंदन, शमी के पत्ते, शहद और अक्षत चढ़ाएं। 
- प्रदोष व्रत में शाम के समय भगवान शिव की पूजा की जाती है। शाम के समय भोलेनाथ और माता पार्वती के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं। 
- इसके बाद फूल और मिठाई अर्पित करें. 
- फिर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें। 
- इस दिन शिव चालीसा का पाठ करना भी फलदायी होता है। 
- महिलाएं अखंड सौभाग्य और घर में सुख-समृद्धि की कामना से प्रदोष व्रत रखती हैं।
 
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