विज्ञापन
Home  dharm  vrat  apara ekadashi 2024 date do not do this work on apara ekadashi do s and don ts on ekadashi

Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम, हो सकता है बड़ा नुकसान

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Sun, 26 May 2024 08:00 AM IST
सार

Apara Ekadashi 2024: 2 जून 2024 को अपरा एकादशी है. यह त्यौहार हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।

Apara Ekadashi 2024:
Apara Ekadashi 2024:- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Apara Ekadashi 2024: 2 जून 2024 को अपरा एकादशी है. यह त्यौहार हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत नियम और श्रद्धा से करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी हो जाती हैं। साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। हालांकि अपरा एकादशी व्रत के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन कुछ गलतियां करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। तो आइए जानते हैं अपरा एकादशी के दिन कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए...
विज्ञापन
विज्ञापन

चावल का सेवन न करें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। धार्मिक कथाओं के अनुसार, जो लोग एकादशी के दिन चावल का सेवन करते हैं, वे अगले जन्म में सरीसृप के रूप में जन्म लेते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार महर्षि मेधा ने माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया था। उनके अंश धरती में समा गये और बाद में चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा का जन्म उसी स्थान पर हुआ। इसी कारण से चावल और जौ को जीवित प्राणी माना जाता है। कथा के अनुसार जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त के सेवन के बराबर है।

क्रोध न करें

एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित होता है। एकादशी के दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए।  इस दिन सिर्फ भगवान का गुणगान करना चाहिए। अपरा एकादशी भगवान विष्णु की पूजा का पवित्र दिन है। इस दिन केवल भगवान की स्तुति करनी चाहिए। -एकादशी के दिन क्रोध नहीं करना चाहिए और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए।
विज्ञापन

ब्रह्मचर्य का पालन करें

अपरा एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन सिर्फ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।

किसी का अपमान न करें

अपरा एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति या जीव का अपमान न करें इसके आलवा अपरा एकादशी के दिन किसी भी वरिष्ठ व्यक्ति का अपमान न करें। केवल एकादशी के दिन ही नहीं किसी भी दिन स्त्री का अपमान नहीं करना चाहिए। जो लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते उन्हें जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

तामसिक भोजन न करें

किसी भी माह की एकादशी के पावन दिन तामसिक भोजन न करें। इस दिन ऐसा करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दिन यदि आप व्रत नहीं करते हैं तो भी सात्विक भोजन का ही सेवन करें। 

अपरा एकादशी पूजा विधि

अपरा एकादशी के दिन व्रत रखने वाले लोगों को सुबह जल्दी उठना चाहिए और दैनिक कार्यों से निपटकर स्नान करना चाहिए और पीले कपड़े पहनने चाहिए।
इसके बाद अपने घर के पूजा स्थल पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की स्थापना करें। 
फिर उन्हें चंदन, अक्षत, फूल चढ़ाएं और धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
इसके बाद मन में सच्ची श्रद्धा रखकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें और अपरा एकादशी व्रत की कथा सुनने के बाद आरती करें।

अपरा एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

विष्णु मूल मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय॥
 

भगवते वासुदेवाय मंत्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥ 

विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

 

श्री विष्णु मंत्र

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।

मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

 

विष्णु स्तुति

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥




 
विज्ञापन