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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी के दिन जरूर करें गणेश स्तोत्र का पाठ

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Tue, 04 Jun 2024 05:14 PM IST
सार

Vinayak Chaturthi 2024: सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक कार्यों में सबसे पहले देवाधिदेव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. इससे शुभ कार्यों में सफलता मिलती है. हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है.

गणेश स्तोत्र
गणेश स्तोत्र- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Vinayak Chaturthi 2024: सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक कार्यों में सबसे पहले देवाधिदेव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. इससे शुभ कार्यों में सफलता मिलती है. हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है. साथ ही जीवन में खुशियों के आगमन के लिए गणपति बप्पा की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इस बार ये पर्व 10 जून को मनाया जाएगा. अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा पाना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी पर पूजा के दौरान गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करें. इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होंगी और शुभ फल की प्राप्ति होगी.
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विनायक चतुर्थी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 जून 2024 को दोपहर 03:44 बजे से शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 10 जून 2024 को शाम 04:14 बजे होगा। ऐसे में विनायक चतुर्थी व्रत 10 जून को रखा जाएगा।

गणेश स्तोत्र 

शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।
क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

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गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

धन लाभ हेतु मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
 
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