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Surya Arghya Vidhi: शक्ति और स्वास्थ्य के देवता हैं सूर्य देव, जानें पूजा विधि और चमत्कारी उपाय

जीवांजलि धर्म डेस्क Published by: निधि Updated Tue, 11 Jun 2024 08:20 AM IST
सार

वैदिक काल से ही भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा और भगवान का नेत्र बताया गया है

Surya Arghya Vidhi
Surya Arghya Vidhi- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Surya Dev: वैदिक काल से ही भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा और भगवान का नेत्र बताया गया है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य और शक्ति का देवता माना गया है। सूर्य देव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन कायम है। ऋषि-मुनियों ने उगते सूर्य को ज्ञान का देवता बताया है और सूर्य की उपासना को अत्यंत लाभकारी बताया है। प्रत्यक्ष देव सूर्य की उपासना शीघ्र फल देने वाली मानी गई है। स्वयं भगवान श्रीराम ने भी इनकी उपासना की थी। ज्ञातव्य है कि भगवान श्रीराम के पूर्वज भी सूर्यवंशी थे। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने भी सूर्य की उपासना करके कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी। 
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सूर्य की पूजा का महत्व

भगवान भास्कर यानी सूर्य देव की पूजा से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य को नौ ग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव कर्म का स्वामी माना जाता है। जीवन से जुड़े सभी दुख और रोग दूर करने के साथ ही जिन लोगों को संतान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ मिलता है। पिता-पुत्र के रिश्ते में विशेष लाभ के लिए सूर्य साधना बेटे द्वारा करवानी चाहिए।

सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं भगवान सूर्य

हमारे ब्रह्मांड के दृश्यमान देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े हैं, जिन्हें शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ हमें प्रेरणा देता है कि हमें हमेशा अच्छे कर्म करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी हमें जीवन में सफलता मिलती है।
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मंत्र से मूर्ति तक कुछ ऐसे प्रारंभ हुई सूर्य साधना

भारत में वैदिक काल से ही सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है। पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से की जाती थी लेकिन बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी शुरू हुई। जिसके बाद कई जगहों पर उनके भव्य मंदिर बनाए गए। प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के कई मंदिर आज भी भारत में मौजूद हैं। सूर्य की पूजा से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिर कोणार्क, मार्तंड और मोढेरा आदि हैं।

रविवार का दिन सूर्य की पूजा के लिए समर्पित 

रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन अगर आप भगवान सूर्य की पूजा करेंगे तो आपको जल्द ही उनकी कृपा प्राप्त होगी। रविवार को भक्ति भाव से की गई पूजा से प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष देव सूर्य अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं।

इस तरह करें सूर्य की पूजा

सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष सूर्य देव की पूजा फलदायी मानी गई है। सूर्य देव की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद उगते हुए सूर्य को देखते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नमः बोलते हुए जल अर्पित करें। सूर्य को अर्पित किए जाने वाले जल में लाल रोली और लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

सूर्य को उगते समय ही नहीं बल्कि अस्त होते समय भी दिया जाता है अर्घ्य 

सूर्य देव की पूजा सिर्फ सूर्योदय के समय ही नहीं बल्कि सूर्यास्त के समय भी की जाती है। सूर्य षष्ठी के पर्व पर डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। जिसे हम छठ पूजा के नाम से जानते हैं। इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से इस जन्म के साथ-साथ किसी भी अन्य जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। डूबते सूर्य की पूजा करने के पीछे उद्देश्य यह भी है कि - 'हे सूर्य देव, आज शाम हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप कल सुबह की पूजा स्वीकार करें और हमारी मनोकामनाएं पूरी करें।

क्यों करते हैं सूर्य के तीन प्रहर की साधना 

दिन के तीनों प्रहर में सूर्य की पूजा विशेष फलदायी होती है।

1. प्रातःकाल में सूर्य की पूजा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

2. दोपहर में सूर्य की पूजा करने से साधक के मान-सम्मान में वृद्धि होती है।

3. विशेष रूप से संध्याकाल में सूर्य की पूजा करने से सौभाग्य जागृत होता है और समृद्धि आती है।

सूर्य के इस मंत्र से पूरी होगी मनोकामना 

सूर्य साधना में मंत्रों का जाप करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। जीवन से जुड़ी सभी तरह की बीमारियां और बदनामी दूर हो जाती है। सूर्य के आशीर्वाद से आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता दिलाने वाले सूर्य मंत्र इस प्रकार हैं -

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।

ॐ घृणि सूर्याय नमः।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।


समृद्धि ही नहीं सेहत से भी जुड़े हैं सूर्य देव

सूर्य देव की पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। सूर्य नमस्कार को सर्वांग व्यायाम कहा जाता है। इसे करने से अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलती है। सूर्य नमस्कार के मंत्र पढ़ें -

ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ मित्राय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगय नमः।
ॐ पुष्णे नमः।
ॐ मारिचाये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सावित्रे नमः।
ॐ आर्काय नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
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