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Shani Jayanti 2024: कैसे हुआ शनिदेव का जन्म, पढ़िए इससे जुड़ी पौराणिक कहानी

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Sun, 26 May 2024 08:00 AM IST
सार

 शनि का नाम आते ही लोगों के हाथ-पैर कांपने लगते हैं और जिन लोगों पर शनि की कुदृष्टि पड़ती है उन्हें तमाम तरह की विपत्तियों का सामना करना पड़ता है,

Shani Jayanti 2024
Shani Jayanti 2024- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Shani Jayanti 2024: शनि का नाम आते ही लोगों के हाथ-पैर कांपने लगते हैं और जिन लोगों पर शनि की कुदृष्टि पड़ती है उन्हें तमाम तरह की विपत्तियों का सामना करना पड़ता है, धन हानि, रोग और मानसिक पीड़ा होने लगती है। 6 जून को शनि जयंती है. ऐसे में आज हम आपको शनिदेव से जुड़े उस रहस्य के बारे में बताएंगे
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कैसे हुआ था शनि देव का जन्म

पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ था। संज्ञा और सूर्य से यम, मनु और यमुना का जन्म हुआ। उनकी पत्नी संज्ञा सूर्यदेव का तेज अधिक समय तक सहन नहीं कर पाती थीं इसलिए कुछ समय बाद संज्ञा अपनी छाया को सूर्य की सेवा में छोड़ गईं। कुछ दिनों के बाद छाया से शनिदेव का जन्म हुआ।

कथा के अनुसार शनिदेव अपने पिता सूर्य से सदैव क्रोधित रहते थे लेकिन शनिदेव भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। शनिदेव का विवाह चित्ररथ नामक कन्या से हुआ था। शनिदेव हमेशा भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे और अपनी पत्नी को ज्यादा समय नहीं देते थे। एक बार शनिदेव की पत्नी पुत्र प्राप्ति की इच्छा से शनिदेव के समीप पहुंची लेकिन शनिदेव भक्ति में इतने लीन थे कि उन्हें उनके बारे में ख्याल ही नहीं आया। इसके बाद उनकी पत्नी चित्ररथ ने क्रोधित होकर शनिदेव को श्राप दिया कि शनिदेव जिस पर भी दृष्टि डालेंगे वह नष्ट हो जाएगा। तभी से शनिदेव की नजर जिस पर भी पड़ती है उसके साथ अनिष्ट होने लगता है।
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शनि की नजर अशुभ क्यों

कथा के अनुसार शनिदेव अपने पिता सूर्य से सदैव क्रोधित रहते थे लेकिन शनिदेव भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। शनिदेव का विवाह चित्ररथ नामक कन्या से हुआ था। शनिदेव हमेशा भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे और अपनी पत्नी को ज्यादा समय नहीं देते थे। एक बार शनिदेव की पत्नी पुत्र प्राप्ति की इच्छा से शनिदेव के समीप पहुंची लेकिन शनिदेव भक्ति में इतने लीन थे कि उन्हें उनके बारे में ख्याल ही नहीं आया। इसके बाद उनकी पत्नी चित्ररथ ने क्रोधित होकर शनिदेव को श्राप दिया कि शनिदेव जिस पर भी दृष्टि डालेंगे वह नष्ट हो जाएगा। तभी से शनिदेव की नजर जिस पर भी पड़ती है उसके साथ अनिष्ट होने लगता है।

शनिदेव से जुड़ी खास बातें 


- शनिदेव सूर्य पुत्र हैं परंतु फिर भी इनकी पूजा सदैव सूर्योदय से पहले या फिर सूर्यास्त के बाद ही की जाती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार शनिदेव की अपने पिता से वैरभाव रखते हैं।

- शनिदेव के कई मंदिर पूरे भारतवर्ष में बने हुए हैं लेकिन महराष्ट्र के शिंगणापुर में बना शनि मंदिर खास महत्व रखता है माना जाता है यह शनिदेव का जन्मस्थान है। यहां पर  गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में शनिदेव सदैव बिना छत्र के रहते हैं। उनकी प्रतीकात्मक शिला एक खुले स्थान पर स्थापित है।

- शिव जी शनिदेव के गुरु हैं इसलिए शिव जी की पूजा आराधना करने वाले पर शनिदेव अपनी कुदृष्टि नहीं करते हैं।

- इसके अलावा हनुमान भक्तों पर भी शनिदेव अपनी अशुभ दृष्टि नहीं डालते हैं। इस विषय में पौराणिक कथा मिलती है कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया था। 

- शनि देव सूर्य के पत्नी छाया के पुत्र हैं, इनके भाई यम और मनु हैं और इनकी बहन यमुनाजी हैं। शनिदेव अपनी बहन यमुना से विशेष प्रेमभाव रखते हैं।


 
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