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Shani Amavasya 2024: कब है शनि अमावस्या जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Sun, 26 May 2024 05:06 AM IST
सार

Shani Amavasya 2024: हर माह कृष्ण पक्ष में अमावस्या मनाई जाती है। यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन आती है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 05 जून को है। अगले दिन ज्येष्ठ अमावस्या है।

शनि  अमावस्या
शनि अमावस्या- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Shani Amavasya 2024: हर माह कृष्ण पक्ष में अमावस्या मनाई जाती है। यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन आती है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 05 जून को है। अगले दिन ज्येष्ठ अमावस्या है। सरल शब्दों में कहें तो 06 जून को ज्येष्ठ अमावस्या है। सनातन ग्रंथों में निहित है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन भगवान भास्कर के पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा भक्त शनि दोष से राहत पाने के लिए व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि शनिदेव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं शनि अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व-

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शनि अमावस्या 2024 मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या 5 जून 2024 को शाम 07:54 बजे से शुरू होगी और 6 जून 2024 को शाम 06:07 बजे तक रहेगी. कई प्रमुख व्रत और त्योहारों को छोड़कर अन्य तिथियों की गणना उदया तिथि से की जाती है. इसलिए शनि अमावस्या 6 जून को मनाई जाएगी।

स्नान-दान मुहूर्त- प्रातः 04.02 – प्रातः 07.07
पितृ पूजा - सुबह 11.30 बजे - दोपहर 02.04 मिनट पर (दोपहर में पितरों की पूजा की जाती है)
शनिदेव पूजा - सायं 06.00 बजे  - रात्रि 09.49 मिनट तक (शनिदेव पूजा सूर्यास्त के बाद सर्वोत्तम मानी जाती है)
 

शनि अमावस्या के दिन सुहाग उत्सव मनाया जाता है।

ज्येष्ठ अमावस्या का दिन विवाहित महिलाओं के लिए भी बहुत खास होता है। इस दिन माता सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं, तभी से ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शिव-पार्वती और वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष को त्रिदेवों का निवास माना जाता है, इसकी पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। पति की आयु लम्बी होती है.
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महत्त्व

सनातन धर्म में शनि अमावस्या का विशेष महत्व है। इस तिथि पर श्रद्धापूर्वक शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए भी व्रत रखा जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर नींबू और मिर्च का पौधा लगाते हैं। इस दिन भक्त काले कपड़े पहनते हैं। चप्पल-जूते का भी त्याग करें। 


 

क्यों खास है शनि अमावस्या? 

धार्मिक ग्रंथों में ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव की जन्मतिथि बताया गया है। ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है उन्हें इस दिन शनिदेव का तेल से अभिषेक करना चाहिए और काली वस्तुएं जैसे काले तिल, काले रंग के कपड़े, जूते, चप्पल, काला छाता, उड़द दाल, सरसों आदि अपने पास रखना चाहिए। तेल का दान करना चाहिए। आदि। इससे शनि के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। 

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय


सूर्योदय - प्रातः 05:23 मिनट 

सूर्यास्त- 07:17 मिनट तक
 

पंचांग


ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:02 मिनट से प्रातः 04:42 मिनट तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 02:39 मिनट से 03:35 मिनट तक

गोधूलि बेला - शाम 07:16 मिनट से शाम 07:36 मिनट तक

निशिता मुहूर्त- रात 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक
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