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Sawan 2024: इस साल कब से शुरु होगा सावन का पवित्र माह जानिए तिथि

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Sat, 25 May 2024 07:08 AM IST
सार

Sawan 2024:  सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में  जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती और  देवों के देव महादेव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए सोमवारी और मंगला गौरी व्रत भी किया जाता है।

सावन
सावन- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Sawan 2024:  सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में  जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती और  देवों के देव महादेव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए सोमवारी और मंगला गौरी व्रत भी किया जाता है। शिव पुराण में सोमवार व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है। सावन सोमवारी का व्रत स्त्री-पुरुष दोनों रखते हैं। सावन सोमवारी का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित लोगों की शादी जल्द हो जाती है। इसलिए सावन सोमवार के दिन भक्त श्रद्धा भाव से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस साल सावन कब से शुरू हो रहा है?
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2024 में कब शुरू होगा सावन?


इस साल 22 जुलाई 2024 से सावन महीने की शुरूआत  हो रही है। और 19 अगस्त 2024 को इसका समापन होगा। साल 2024 में सावन की शुरुआत और अंत दोनों ही सोमवार को है, जिससे इसका महत्व दोगुना हो गया है। इस बार सावन 2024 में पांच सोमवार और चार मंगला गौरी व्रत होंगे।



सावन सोमवार व्रत की सूची

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1. पहला सावन सोमवार व्रत: 22 जुलाई

2. दूसरा सावन सोमवार व्रत: 29 जुलाई

3. तीसरा सावन सोमवार व्रत: 5 अगस्त

4. चौथा सावन सोमवार व्रत: 12 अगस्त

5. पांचवां सावन सोमवार व्रत: 19 अगस्त

2024 में मंगला गौरी व्रत कब है?


आपको बता दें कि इस साल सावन में पड़ेंगे. पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को है और आखिरी मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त को है। आइए देखें सावन मंगला गौरी व्रत का कैलेंडर.

1. प्रथम मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई

2. द्वितीय मंगला गौरी व्रत 30 जुलाई

3. तीसरा मंगला गौरी व्रत 6 अगस्त

4. चतुर्थ मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त

सावन माह का महत्व


शास्त्रों में वर्णित है कि चातुर्मास के दौरान जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, तब महादेव ही सृष्टि का संचालन करते हैं। शिव पुराण के अनुसार सावन चतुर्मास का पहला महीना है, जिसके अधिपति भगवान शंकर हैं। इस दौरान भोलेनाथ पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों के दुख और कष्ट दूर करते हैं। ऋषि मार्कंडेय ने लंबी उम्र के लिए सावन के महीने में कठोर तपस्या करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिसके कारण उन्हें दीर्घायु का आशीर्वाद मिला था। यही कारण है कि सावन में शिव की पूजा करने वालों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। सुख, समृद्धि, सफलता, लंबी आयु, धन, सुखी वैवाहिक जीवन और अच्छा जीवन साथी मिलता है। मृत्यु के बाद व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।

सावन सोमवार पूजा विधि

शिवपुराण के अनुसार शाम के समय भगवान शिव की पूजा सर्वोत्तम मानी गई है। वैसे तो सावन में हर दिन शिव की पूजा करना श्रेष्ठ है, लेकिन सोमवार का दिन विशेष है। पहले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें। सफेद रंग शिव का प्रिय रंग है।
घर के मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद तांबे के लोटे में शिवलिंग रखकर बेलपत्र चढ़ाएं और तांबे या चांदी के लोटे से जल चढ़ाएं।
पंचामृत से अभिषेक करें. अभिषेक के समय महामृत्युंजय मंत्र का लगातार जाप करें।
शिवलिंग पर अक्षत, फूल, धतूरा, सफेद चंदन, गुलाल, अबीर, इत्र, शमी के पत्ते चढ़ाएं। माता पार्वती की भी पूजा करें.
खीर, हलवा और बेल फल का भोग लगाएं.
घी का चौमुखा दीपक जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें और फिर भगवान शिव की आरती करें और अंत में प्रसाद वितरित करें।

सावन के नियम

सावन में दाढ़ी, मूंछ और बाल काटना वर्जित है।
सावन में भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें.
सावन में  दही, हरी पत्तेदार सब्जियां ,बैंगन, दूध, न खाएं।
ब्रह्म मुहूर्त में उठें, क्रोध पर नियंत्रण रखें, मन में बुरे विचार न लाएं।
सावन सोमवार के व्रत वाले दिन व्यक्ति को साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए।


 
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