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Bhasma Arti: क्यों की जाती है बाबा महाकाल की भस्मारती, जानिए रहस्य

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Wed, 05 Jun 2024 05:38 PM IST
सार

Bhasma Arti: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां दूर-दूर से भक्त भगवान शिव की पूजा और दर्शन करने आते हैं। मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं,

भस्म आरती
भस्म आरती- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Bhasma Arti: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां दूर-दूर से भक्त भगवान शिव की पूजा और दर्शन करने आते हैं। मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं, जिसकी वजह से यह मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान महाकाल के दर्शन करने से व्यक्ति का जीवन-मरण का चक्र समाप्त हो जाता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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महाकाल की भस्म आरती क्यों की जाती है?

पौराणिक कथा के अनुसार, दूषण नाम के राक्षस ने उज्जैन नगरी में उत्पात मचा रखा था। यहां के ब्राह्मणों ने भगवान शिव से उसका प्रकोप दूर करने की गुहार लगाई। भगवान शिव ने दूषण को चेतावनी दी, लेकिन उसने एक न सुनी। क्रोधित शिव यहां महाकाल के रूप में प्रकट हुए और अपने क्रोध से दूषण को भस्म कर दिया। मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ ने यहीं दूषण की भस्म से अपना श्रृंगार किया था। इसलिए आज भी यहां महादेव का भस्म से श्रृंगार किया जाता है। भस्म आरती से जुड़ी मान्यताएं

कहा जाता है कि भगवान शिव को जगाने के लिए भस्म आरती की जाती है, इसलिए सुबह 4 बजे आरती की जाती है। वर्तमान में महाकाल की भस्म आरती में गाय के गोबर के उपले, शमी, पीपल, पलाश, बरगद, अमलतास और बेर की लकड़ी जलाकर बनाई गई राख का इस्तेमाल किया जाता है। माना जाता है कि सालों पहले श्मशान की राख से आरती की जाती थी, लेकिन अब गाय के गोबर के उपलों से बनी राख से आरती की जाती है। मान्यताओं के अनुसार महिलाओं के लिए भस्म आरती देखना वर्जित है। इसलिए उन्हें कुछ समय तक घूंघट करना पड़ता है। आरती के दौरान पुजारी कपड़े की धोती में होते हैं।
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भस्म आरती के नियम

भगवान महाकाल की भस्म आरती सुबह 4 बजे की जाती है। भस्म को सूती कपड़े में बांधा जाता है। फिर इसे शिवलिंग पर बिखेरकर आरती की जाती है।

भस्म आरती के दौरान महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है। साथ ही पुजारी भी धोती पहनकर आरती करते हैं।

धार्मिक मान्यता है कि भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल निराकार स्वरूप में होते हैं. इसलिए महिलाओं को आरती के दौरान घूंघट करना पड़ता है.

इन 5 तत्वों से बनती है भस्म

धार्मिक मान्यता है कि कई सालों पहले भगवान शिव की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाई जाती थी. लेकिन अब महाकाल की भस्म आरती के लिए श्मशान से भस्म नहीं लाई जाती है, अब भस्म बनाने का तरीका बदल गया है. आपको बता दें कि अब चिता की राख नहीं बल्कि कई ऐसे तत्व हैं जिनसे भस्म तैयार की जाती है.आपको बता दें कि भस्म बनाने के लिए सबसे पहले पीपल, कपिया गोबर से बने कंडे, शमी, पलाश की लकड़ी, अमलतास और बेर की लकड़ी को जलाया जाता है. भस्म आरती के बाद इस भस्म को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. मान्यता है कि जो लोग भस्म को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही सभी तरह के रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है.
 

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