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Ashadh Month 2024: कब से शुरू होंगे आषाढ़ माह? जानिए महत्व और पूजा विधि

जीवांजलि धर्म डेस्क Published by: निधि Updated Tue, 11 Jun 2024 04:26 PM IST
सार

हिंदू पंचांग के अनुसार एक सौर वर्ष में कुल 12 माह होते हैं। हिंदू पंचांग में हर माह का विशेष महत्व होता है। हर माह के दो चरण होते हैं, पहले 15 दिन शुक्ल पक्ष के और दूसरे 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं।

Ashadh Month 2024
Ashadh Month 2024- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Ashadh Month 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार एक सौर वर्ष में कुल 12 माह होते हैं। हिंदू पंचांग में हर माह का विशेष महत्व होता है। हर माह के दो चरण होते हैं, पहले 15 दिन शुक्ल पक्ष के और दूसरे 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं। जहां अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल जनवरी से शुरू होता है, वहीं हिंदू कैलेंडर के अनुसार नया साल चैत्र माह से शुरू होता है। हिंदू कैलेंडर के सभी 12 महीने हैं- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन। सभी महीनों का अपना विशेष महत्व होता है। अब बहुत जल्द आषाढ़ माह शुरू होने वाला है। आषाढ़ माह चौथा माह होता है। इस महीने में मंगलदेव के साथ भगवान सूर्य की पूजा का भी विधान है। इसके अलावा आषाढ़ माह भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा और समर्पण का महीना होता है। आइए जानते हैं हिंदू पंचांग का ये चौथा महीना कब से शुरू होने जा रहा है और इस महीने का धार्मिक महत्व क्या है।
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कब से आषाढ़ माह की शुरूआत ?

आषाढ़ से पहले ज्येष्ठ का महीना आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार जब ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आती है और फिर इसकी समाप्ति होती है तब अगली तिथि से आषाढ़ का महीना आरंभ हो जाता है। इस बार आषाढ़ माह की शुरूआत 23 जून से शुरू ह होकर 21 जुलाई 2024 को खत्म होगा। 

हिंदू धर्म में आषाढ़ माह का महत्व

आषाढ़ माह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस महीने में भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की पूजा की जाती है। आषाढ़ माह में भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा आषाढ़ माह में भगवान सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने से धन और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। आषाढ़ माह में भगवान की पूजा कनेर के फूल, लाल फूल या कमल के फूल से करनी चाहिए। जो लोग इस महीने में सुनहरे रंग के कदम के फूलों से सर्वव्यापी गोविंदा की पूजा करते हैं, उन्हें कभी यमराज का भय नहीं रहता। तुलसी, श्याम तुलसी और अशोक से नित्य पूजन करने पर भगवान विष्णु प्रतिदिन कष्टों का निवारण करते हैं।
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आषाढ़ माह में होता चातुर्मास शुरू

आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए इस समय कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। कार्तिक माह की देवउत्थान एकादशी के दिन से फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस साल चातुर्मास 29 जून से शुरू होकर 23 नवंबर को खत्म होगा।

सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। इसमें आने वाले चार महीनों में सावन, भादो, आश्विन और कार्तिक माह शामिल हैं। चातुर्मास के कारण एक ही स्थान पर रहकर जप-तप किया जाता है। वर्षा ऋतु और बदलते मौसम के कारण शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।

हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। चातुर्मास आषाढ़ माह से शुरू होकर चार महीने का होता है, लेकिन इस बार अधिक मास के कारण चातुर्मास 5 महीने का होगा। चातुर्मास में किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।

आषाढ़ मास में करें ये काम

- आषाढ़ मास के प्रथम दिन स्नान और दान का बहुत महत्व है। इस दिन ब्राह्मण को चप्पल, छाता, नमक और आंवला दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
- आषाढ़ मास में लक्ष्मीनारायण की पूजा करने से अपार लाभ मिलता है। जीवन में ढेर सारी खुशियां और समृद्धि आती है।
- आषाढ़ मास से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है, इसलिए आषाढ़ मास में उबला हुआ पानी पीना चाहिए।
- साथ ही संतुलित और पौष्टिक आहार लें ताकि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे।
- इस दौरान मांसाहारी भोजन नहीं खाना चाहिए।

आषाढ़ में न करें ये काम

- आषाढ़ मास में कुछ काम नहीं करने चाहिए, अन्यथा जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।
- आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी से श्री हरि विष्णु निद्रा में चले जाते हैं, ऐसे में विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
- आषाढ़ मास में वरुण देव की पूजा करें।
- आषाढ़ माह में बासी भोजन न खाएं।
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