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Apara Ekadashi Vrat Katha: इस विधि से करें अपरा एकादशी पर पूजा, जरूर पढ़ें ये कथा

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Sun, 26 May 2024 06:07 AM IST
सार

Apara Ekadashi Vrat Katha:  एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है। यह व्रत हर महीने में दो बार, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आता है

अपरा एकादशी
अपरा एकादशी- फोटो : jeevanjali

विस्तार



Apara Ekadashi Vrat Katha:  एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है। यह व्रत हर महीने में दो बार, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आता है। एकादशी व्रत रखने के पीछे कई कारण हैं आप को पता ही है एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत रखने से मन पवित्र होता है और कुशाग्र बुद्धि प्राप्त होती है। व्रत रखने से शरीर का शुद्धिकरण होता है और रोगों का भी नाश होता है।
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02 जून को अपरा एकादशी है इस दिन व्रत रखा जाएगा, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अपरा एकादशी तिथि 02 जून को सुबह 5:05 बजे शुरू होगी और यह तिथि 03 जून को सुबह 2:41 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 2 जून को ही अपरा एकादशी व्रत करना उचित रहेगा।  अपरा एकादशी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को रखने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको अवश्य ही अपरा एकादशी का व्रत रखना चाहिए।
 

अपरा एकादशी पूजा मुहूर्त

चल चौघड़िया मुहूर्त सुबह 7:07 मिनट से 8:51 मिनट तक है।
लाभ चौघड़िया प्रातः 8.51 से प्रातः 10.35 तक।
अमृत चौघड़िया सुबह 10:35 मिनट से दोपहर 12:19 मिनट तक



अपरा एकादशी व्रत कथा

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प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा थे। उनका छोटा भाई वज्रध्वज, बड़े भाई के प्रति द्वेष रखता था। एक दिन, अवसर पाकर वज्रध्वज ने राजा की हत्या कर दी और उनके शव को जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर उसी पेड़ पर रहने लगी।कुछ समय बाद, ऋषि घृतक ने उस जंगल में प्रवास किया। एक दिन, उन्हें राजा की प्रेत आत्मा का दर्शन हुआ। ऋषि ने राजा से पूछा कि उनकी यह गति क्यों हुई। राजा ने सारी घटना ऋषि को बताई। ऋषि ने राजा को बताया कि अपरा एकादशी का व्रत रखने से उन्हें मुक्ति मिल सकती है।ऋषि की सलाह पर राजा ने अपरा एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा को मुक्ति मिल गई और वे स्वर्गलोक चले गए।यह कथा हमें सिखाती है कि अपरा एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी है। इस व्रत को रखने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

अपरा एकादशी व्रत विधि


दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त से पहले स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें। एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन अन्न, जल और नमक का सेवन न करें। फल, फलाहार और दूध का सेवन कर सकते हैं। दिन का समय भगवान विष्णु के नाम-स्मरण और भजन-कीर्तन में बिताएं। रात्रि में भगवान विष्णु की पूजा करें और जागरण करें। द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद स्नान कर भोजन ग्रहण करें।
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