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Annapoorna Stotram : पूजा के समय जरूर करें इस स्तोत्र का करें पाठ, कभी नहीं होगी धन की कमी

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Mon, 27 May 2024 05:13 PM IST
सार

Annapoorna Stotram : भगवान शिव और जगत जननी माता पार्वती की महिमा अपरंपार है। उनकी शरण में आने वाले भक्तों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली भी आती है।

स्तोत्र
स्तोत्र- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Annapoorna Stotram : भगवान शिव और जगत जननी माता पार्वती की महिमा अपरंपार है। उनकी शरण में आने वाले भक्तों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली भी आती है। कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को खत्म करने के लिए ज्योतिषी भी भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। इसलिए भक्त प्रतिदिन भक्ति भाव से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। माता पार्वती को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि एक बार पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई। उस समय भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर आये। पृथ्वी पर आने के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को अन्न दान किया। भगवान शिव ने प्राप्त भोजन को लोगों में वितरित कर दिया। इससे भोजन की कमी दूर हो गई। अगर आप भी मां अन्नपूर्णा की कृपा पाना चाहते हैं तो हर दिन पूजा के दौरान इस शुभ स्तोत्र का पाठ जरूर करें।

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अन्नपूर्णा स्तोत्रम् 

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१॥

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी ।
काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥२॥

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ।
सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥३॥

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी ।
मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥४॥

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी ।
श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥५॥

उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी
वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥६॥

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी
काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी ।
कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥७॥

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी
वामं स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी ।
भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥८॥

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी ।
मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥९॥

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी
साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी ।
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१०॥

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे ।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥११॥

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः ।
बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥१२॥
- श्री शङ्कराचार्य कृतं
 
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