विज्ञापन
Home  dharm  aarti  khatu shyam chalisa shri guru charanan dhyan dhar sumir sachchidanand definitely recite khatu shyam chalisa

Khatu Shyam Chalisa: श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद , जरूर करें खाटू श्याम चालीसा का पाठ

jeevanjali Published by: कोमल Updated Wed, 03 Apr 2024 12:45 PM IST
सार

Khatu Shyam Chalisa: सनातन धर्म में बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण और गणेश जी को समर्पित है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसके साथ ही ग्रहों के राजकुमार बुध की भी पूजा की जाती है।

खाटू श्याम चालीसा
खाटू श्याम चालीसा- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Khatu Shyam Chalisa: सनातन धर्म में बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण और गणेश जी को समर्पित है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसके साथ ही ग्रहों के राजकुमार बुध की भी पूजा की जाती है। बुधवार के दिन खाटू श्याम मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस अवसर पर खाटू श्याम जी की पूजा और सेवा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि खाटू श्याम जी की पूजा करने से जीवन के सभी प्रकार के दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। अगर आप भी खाटू श्याम बाबा की कृपा के भागीदार बनना चाहते हैं तो आज पूजा के दौरान खाटू श्याम चालीसा का पाठ जरूर करें।
 
विज्ञापन
विज्ञापन

खाटू श्याम चालीसा


दोहा

श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद ।

श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद ।

चौपाई

श्याम-श्याम भजि बारम्बारा ।

सहज ही हो भवसागर पारा ॥

इन सम देव न दूजा कोई ।

दिन दयालु न दाता होई ॥

भीम पुत्र अहिलावती जाया ।

कही भीम का पौत्र कहलाया ॥

यह सब कथा कही कल्पांतर ।

तनिक न मानो इसमें अंतर ॥

बर्बरीक विष्णु अवतारा ।

भक्तन हेतु मनुज तन धारा ॥

वसुदेव देवकी प्यारे ।

जसुमति मैया नंद दुलारे ॥

मधुसूदन गोपाल मुरारी ।

वृजकिशोर गोवर्धन धारी ॥

सियाराम श्री हरि गोविंदा ।

दिनपाल श्री बाल मुकुंदा ॥

दामोदर रणछोड़ बिहारी ।

नाथ द्वारकाधीश खरारी ॥

राधावल्लभ रुक्मणी कंता ।

गोपी बल्लभ कंस हनंता ॥

मनमोहन चित चोर कहाए ।

माखन चोरि-चारि कर खाए ॥

मुरलीधर यदुपति घनश्यामा ।

कृष्ण पतित पावन अभिरामा ॥

मायापति लक्ष्मीपति ईशा ।

पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ॥

विश्वपति जय भुवन पसारा ।

दीनबंधु भक्तन रखवारा ॥

प्रभु का भेद न कोई पाया ।

शेष महेश थके मुनिराया ॥

नारद शारद ऋषि योगिंदर ।

श्याम-श्याम सब रटत निरंतर ॥

कवि कोदी करी कनन गिनंता ।

नाम अपार अथाह अनंता ॥

हर सृष्टी हर सुग में भाई ।

ये अवतार भक्त सुखदाई ॥

ह्रदय माही करि देखु विचारा ।

श्याम भजे तो हो निस्तारा ॥

कौर पढ़ावत गणिका तारी ।

भीलनी की भक्ति बलिहारी ॥

सती अहिल्या गौतम नारी ।

भई शापवश शिला दुलारी ॥

श्याम चरण रज चित लाई ।

पहुंची पति लोक में जाही ॥

अजामिल अरु सदन कसाई ।

नाम प्रताप परम गति पाई ॥

जाके श्याम नाम अधारा ।

सुख लहहि दुःख दूर हो सारा ॥

श्याम सलोवन है अति सुंदर ।

मोर मुकुट सिर तन पीतांबर ॥

गले बैजंती माल सुहाई ।

छवि अनूप भक्तन मान भाई ॥

श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती ।

श्याम दुपहरी कर परभाती ॥

श्याम सारथी जिस रथ के ।

रोड़े दूर होए उस पथ के ॥

श्याम भक्त न कही पर हारा ।

भीर परि तब श्याम पुकारा ॥

रसना श्याम नाम रस पी ले ।

जी ले श्याम नाम के ही ले ॥

संसारी सुख भोग मिलेगा ।

अंत श्याम सुख योग मिलेगा ॥

श्याम प्रभु हैं तन के काले ।

मन के गोरे भोले-भाले ॥

श्याम संत भक्तन हितकारी ।

रोग-दोष अध नाशे भारी ॥

प्रेम सहित जब नाम पुकारा ।

भक्त लगत श्याम को प्यारा ॥

खाटू में हैं मथुरावासी ।

पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी ॥

सुधा तान भरि मुरली बजाई ।

चहु दिशि जहां सुनी पाई ॥

वृद्ध-बाल जेते नारि नर ।

मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर ॥

हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई ।

खाटू में जहां श्याम कन्हाई ॥

जिसने श्याम स्वरूप निहारा ।

भव भय से पाया छुटकारा ॥

दोहा

श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार ।

इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।
विज्ञापन