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Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा कब है 28 या 29 अक्टूबर? नोट कर लें सही तारीख

jeevanjali Published by: निधि Updated Thu, 26 Oct 2023 06:28 PM IST
सार

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे आश्विन मास की पूर्णिमा कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे साल में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है।

शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा- फोटो : jeevanjali

विस्तार

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे आश्विन मास की पूर्णिमा कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे साल में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है। हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना जाता है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसलिए इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने की परंपरा है। आइए इस लेख में हम आपको बताते है कि साल 2023 में कब है शरद पूर्णिमा? 
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28 या 29 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा? 

साल 2023 में शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर, दिन शनिवार को पड़ रही है। इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया है। शरद पूर्णिमा की देर रात 01:06 बजे चंद्र ग्रहण लगेगा, जो मध्य रात्रि 02:22 बजे खत्म होगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे ही लग जाता है। 
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पूजा शुभ मुहूर्त 

शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर 3:00 बजे से सूतक काल शुरू हो जाता है और सूतक काल शुरू होने के बाद पूजा नहीं की जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और इस दिन चंद्र अर्ध्य भी दिया जाता है। ऐसे में सूतक शुरू होने से पहले पूजा करें और ग्रहण खत्म होने के बाद मंत्रों का जाप करें। चंद्रमा को जल दें और दान करें, इससे सभी परेशानियां दूर होंगी।

शरद पूर्णिमा पूजा विधि

- शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा और देवी लक्ष्मी की पूजा करने की विशेष परंपरा है।इस दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- पूरे दिन फलों पर उपवास करने के बाद चंद्रोदय काल में पूजा की जाती है।
- सबसे पहले एक चौकी पर लाल रंग की चटाई बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।
- मां लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी या तिल के तेल दीपक जलाएं। इसके बाद उन्हें रोली, लाल या गुलाबी रंग के फूल, वस्त्र, नैवेद्य आदि चढ़ाएं।
-  इसके बाद व्रत कथा और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। 
-  शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर खीर का भोग लगाया जाता है।
-  रात भर चांदनी में रखी खीर को सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
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