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Shani Dev: परिश्रमी व्यक्ति को मिलता है शनिदेव का आशीर्वाद, ज्योतिष में क्या है महत्व?

jeevanjali Published by: निधि Updated Mon, 01 Jan 2024 04:08 PM IST
सार

Shani Dev: न्याय के देवता शनि हमारे सम्पूर्ण कर्मो का लेखा-जोखा अपने साथ रखते हैं। शनि के काले रंग और कठोर व्यवहार को देखकर मन भय से भर जाता है कि कहीं शनि महाराज हमसे नाराज न हो जाएं।

शनिदेव
शनिदेव- फोटो : internet

विस्तार

Shani Dev: न्याय के देवता शनि हमारे सम्पूर्ण कर्मो का लेखा-जोखा अपने साथ रखते हैं। शनि के काले रंग और कठोर व्यवहार को देखकर मन भय से भर जाता है कि कहीं शनि महाराज हमसे नाराज न हो जाएं क्योंकि शनि महाराज सभी मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार दंड और पुरस्कार देते हैं। शनिदेव सभी के साथ न्याय करते हैं लेकिन शनि उन लोगों को दंड भी देते हैं जो अनुचित कार्य करते हैं। आइए जानते हैं वे कौन से कार्य हैं जो हम मनुष्यों को शनिदेव के प्रकोप से बचा सकते हैं।
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ज्योतिष में शनिदेव का क्या महत्व?

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शनि देव का बहुत महत्व है। यह किसी भी जातक की कुंडली में दुख, रोग, पीड़ा, खनिज, तेल, लोहा, विज्ञान आदि का कारक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के 12 राशियों में से दो राशियां यानी कि मकर और कुम्भ राशि पर शनि देवता का आधिपत्य है। 27 नक्षत्रों में से इन्हें पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों का स्वामी माना जाता है। शनि तुला राशि में उच्च होते हैं और मेष राशि में नीच हो जाते हैं।
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कौन है शनि देवता?

शनि देवता भगवान सूर्य के पुत्र हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि देव के काले रंग के कारण भगवान सूर्य ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। यही कारण है कि शनिदेव अपने पिता से घृणा करते हैं। शनि यमराज के भाई हैं और मा यमुना शनि की बहन हैं। शनिदेव को विशेष रूप से संचित पापों का फल प्रदान करने का अधिकार दिया गया है। इसलिए शनिदेव दंडाधिकारी कहलाते हैं। वे मृत्यु के देवता यमराज के अग्रज हैं, इसलिए महर्षि वेदव्यास ने नवग्रह स्तोत्र में उन्हें ‘यमाग्रज कहा है। नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। ज्योतिष शास्त्र में तमोगुण की प्रधानता वाले क्रूर ग्रह शनि को दुख का कारक बताया गया है। वह देवताओं, राक्षसों और मनुष्यों आदि को कष्ट देने में सक्षम है, शायद इसीलिए उसे दुर्भाग्य लाने वाला ग्रह माना जाता है। किंतु वास्तव में शनिदेव देवता हैं। मनुष्य के दुख का कारण स्वयं उसके कर्म हैं, शनि तो निष्पक्ष न्यायाधीश की भांति बुरे कर्मों के आधार पर वर्तमान जन्म में दंड भोग का प्रावधान करते हैं। शनि व्यक्ति को उसके पिछले अशुभ कर्मों का दंड देने का एक साधन मात्र है, मुख्य दोष तो उसके कर्मों का होता है।

परिश्रमी व्यक्ति को मिलता है शनि का आशीर्वाद 

शनि महाराज और परिश्रमी व्यक्ति के बीच गहरा रिश्ता है। जब कोई व्यक्ति अपने परिश्रम पर ध्यान देता है और खुद को हमेशा स्पष्ट रखता है तो शनिदेव बहुत प्रसन्न होते हैं और उसके परिश्रम के अनुसार ही उसका भाग्य बनाते हैं। मनुष्य अधिक मेहनत करने पर पसीने से श्याम वर्ण का लगने लगता है। शनि भी गहरे रंग के हैं और धीरे-धीरे और सोच-समझकर काम करते हैं, इसलिए शनिदेव का जीवन गलती मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

शनि देव भावनाहीन और न्यायप्रिय है

शनि सूर्यपुत्र और मृत्यु के स्वामी यम के अग्रज हैं। जब शनि सूर्य द्वारा अपमानित होता है तो वह भावनाओं और मन के विपरीत कार्य करता है इसलिए वह न्याय का राजा भी है क्योंकि न्यायाधीश को किसी भी प्रकार की भावनाओं के वशीभूत होकर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।  इनका श्याम वर्ण भी इसी बात को सिद्ध करता है कि शनि पर किसी भी रंग का प्रभाव नहीं पड़ता।
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